Saturday, November 16, 2019

आत्मोन्नति से ही व्यक्ति भविष्य में आने वाले दुखों को मिटा सकता है: स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती जी


By Samachar Vishesh News
Chandigarh 16th November:- आत्मोन्नति से ही व्यक्ति भविष्य में आने वाले दुखों को मिटा सकता है। मनुष्य वही है  जो आने वाले  दुख को  भांप  ले और उस  दुख का निवारण करे। उपरोक्त शब्द आर्य समाज  सेक्टर 7 बी चंडीगढ़ के 61 वें वार्षिक उत्सव की श्रृंखला के दौरान स्वामी संपूर्णानंद सरस्वती जी ने कहे। उन्होंने कहा कि शरीर रथ है और इसके अंदर बैठी आत्मा रथी  है। इसके निकलने पर यह अर्थी बन जाती है क्योंकि रथी अर्थात आत्मा इसके अंदर नहीं है। शरीर रूपी रथ को चलाने वाला सारथी अर्थात बुद्धि है। मन लगाम है।  विषय वासना घोड़े के चरान अर्थात चरने वाली जगह है। स्वामी जी ने कहा कि आत्मा इंद्रिय, और मन आपस में जुड़े होने पर वह भोक्ता है और भोगता ही फल का जिम्मेवार है। इसलिए अज्ञान रूपी अंधकार को मिटाने के लिए ज्ञान रूपी दीपक जलाना आवश्यक है।
आचार्य चंद्र देव जी ने कहा कि परमपिता परमात्मा का निज नाम ओम है।  इसका जप और ध्यान करने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं। परमात्मा का नाम लेने से हमारा हित होता है।  सप्त ऋषि हमारा उपकार करते हैं और यह सप्त ऋषि हमारे शरीर में ही विराजमान हैं।  ऋषि वही होता है जो दर्शन करता और कराता है। इन पांच ऋषियों में पांच ज्ञानेंद्रियां तथा दो मन और बुद्धि है। इसी प्रकार स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने भी परोपकार किया। धर्म का अर्थ वेद से है और वेद ईश्वरीय वाणी है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती जी धर्म को परिभाषित करते हुए बताया  कि जिसका कोई भी व्यवहारिक खंडन नहीं कर सकता वही धर्म है। किसी को भी अपनी आत्मा के विरुद्ध दूसरों के साथ आचरण नहीं करना चाहिए। 
कार्यक्रम के दौरान आचार्य दीवान चंद शास्त्री ने भजन चंदन है इस देश की माटीतपोभूमि हर ग्राम हैबेटियां घर की शान होती हैंऋषि आते ना यहां, हम पार कैसे होते आदि मधुर भजनों की प्रस्तुति से उपस्थित लोगों को आत्मविभोर कर दिया। 
व्याख्यान  के दौरान  दिल्ली से पधारी विदुषी आयुषी शास्त्री ने भी वेद पर अपने विचार रखें।   
इस मौके पर रविन्द्र तलवाड़प्रकाश चंद्र शर्मा, डॉ. विनोद कुमार शर्माकर्नल धर्मवीर, अशोक आर्य, आनंदशील शर्मा आदि गणमान्य व्यक्तियों सहित विभिन्न आर्य समाजों के सदस्य, पदाधिकारी तथा डीएवी शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थी तथा शिक्षक गण उपस्थित थे। 

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