Saturday, February 1, 2020

संस्कृति एवं इतिहास पर श्रीराव वि. प्र. सिंह की श्रेष्ठ पुस्तक: डॉ. विनोद कुमार शर्मा


By Samachar Vishesh News
Chandigarh, 01st Feb, 2020:- श्री वि. प्र. सिंह राव की श्रेष्ठतम पुस्तकों में से एक है।यूं तो भारतवर्ष के नगरों पर अनेक पुस्तकें उपलब्ध हैं, किंतु इतनी व्यापक ज्ञान से परिपूर्ण जिसे अन्य लेखक की पुस्तक देखने में नहीं आई है। इस पुस्तक में संस्कृति और इतिहास की, भारतीय परिप्रेक्ष्य में, मूल परिभाषा समझाते हुए एक क्षेत्र का अनेक दृष्टिकोणों से बड़ी गहनता के साथ सर्वेक्षण तथा प्रेक्षण किया गया है।
इस पुस्तक के लेखक श्रीराव का कहना है कि विकास हेतु अग्रसर व्यक्तियों के लिए इतिहास का समुचित अध्ययन बड़ा उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसी प्रकार, भारतीय संस्कृति का ज्ञान एवं अनुकरण  भी जिज्ञासुओं के सर्वतोमुखी विकास में सहायक साबित होता है।
श्रीराव विजय प्रकाश सिंह ने कहा है कि 'नगरों से प्रांतप्रांतों से देश और देशों से विश्व बनता है। इसलिए, विभिन्न नगरों के इतिहास का सृजन करना आवश्यक है। जिनके अध्ययन ना केवल इनके प्रति जानकारी ही मिलती है, अपितु देश के विभिन्न भागों से तुलनात्मक अध्ययन हेतू भी आवश्यक वृद्धि होती है।'
इन्हीं तथा इसी  कोटि के अन्य  महत्वपूर्ण तथ्यों के दृष्टिगत श्रीराव ने "सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में चरखी दादरी" नामक इस बहुमूल्य पुस्तक की रचना की है। इसमें, इन्होंने इस क्षेत्र के इतिहास का आदिकाल से लेकर चरखी दादरी के वर्तमान हरियाणा प्रांत का 22 वां ज़िला घोषित किए जाने तक के विशाल कालखंड के इतिहास का वर्णन करते हुए, पूर्वकाल की घटनाओं के माध्यम से वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों को शिक्षा प्रदान की है। साथ में इस क्षेत्र के निवासियों के द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक विकास के माध्यम से पाठकों को प्रेरित किया है। लगभग 80 दृष्टिकोणों से, 66 दृष्टांत चित्रों सहित, प्रेक्षण करके एक उद्धारण प्रस्तुत किया है।
गहन शोध तथा अमूल्य धरोहरों के चित्रों से संपन्न उत्तम कृतित्व सामान्य तथा विद्वत समाज के सभी वर्गों के लिए एक अमूल्य निधि है। सभी के लिए हितकारी जानकारी का प्रसार करती हुई यह पुस्तक राष्ट्रहित में एक महत्वपूर्ण कदम है।
ये तथा इस प्रकार की अन्य विशेषताओं के कारण, यह श्रीराव विजय प्रकाश सिंह, जो भारतीय संस्कृति के संरक्षण, विकास तथा प्रसार हेतू लगभग अर्द्ध शताब्दी से समर्पित भाग से संलगन हैं, के अनेक लोकोपियोगी  कृतित्वों की श्रृंखला में, एक विशिष्ट कृति है।
इस प्रकार की उच्चकोटि की ज्ञानवर्धक पुस्तकों को शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाया चाहिए तथा सार्वजनिक पुस्तकालयों में भी उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
इस पुस्तक को हरियाणा ग्रंथ अकादमी ने प्रकाशित किया है। मात्र 300.00 रुपए में यह पुस्तक अकादमी भवन, पी16, सेक्टर - 14, पंचकूला -134113 (हरियाणा) से प्राप्त की जा सकती है।

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