By Samachar Vishesh
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Chandigarh 22nd
Jan, 2020:- गत्ता उद्योग चलाने के लिए प्रयोग होने वाले रॉ मैटीरियल के लगातार बढ़ते
दामों और पेपर मिलों की धक्केशाही से तंग गत्ता उद्योग तालेबंदी की कगार पर है। गत्ता
उद्योगों को चलाने के लिए प्रयोग होने वाले क्राफ्ट पेपर, गोंद, स्टीचिंग वायर व प्रिंटिंग
इंक के दामों में लगातार हो रहे बेतहाशा इजाफे ने बाक्स निर्माताओं की कमर तोड़ दी
है। ये बात आज यहां चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में नार्थ इंडिया
कोरुगेटिड बॉक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कही। इन पदाधिकारियों
में हिमाचल प्रदेश से सुरिंदर जैन, पंजाब से वरुण गाँधी, हरियाणा से रजत गुप्ता, उत्तर
प्रदेश से सुशील सूद, जम्मू एंड कश्मीर से हरीश गुलाटी एवं राजस्थान से राजीव कट्टा
शामिल थे।
हिमाचल से गत्ता उद्योग संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेंद्र जैन ने कहा कि
एक तरफ तो देश मंदी की मार झेल रहा है और ऊपर से लगातार पेपर मिलों द्वारा मनमाने ढंग
से कच्चे माल के रेट बढ़ाए जा रहे हैं जो कि उचित नहीं है। उन्होंने कहा मंदी के इस
दौर में इस उद्योग पर संकट मंडरा रहा है । उन्होंने बताया कि गत्ता उद्योग महज 5% के
मार्जिन पर काम करता है जबकि पेपर मिल्स ने मनमानी करते हुए लगभग 20 % तक रेट बढ़ा दियें
हैं जिससे काम करना दुश्वार हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को पेपर मिलों की धक्केशाही
पर रोक लगाने के लिए कारगर कदम उठाने के साथ-साथ नई पेपर मिलों को स्थापित करने की
संभावनाएं तलाश करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि पेपर मिलों ने अपनी दादागिरी न छोड़ी
तो उद्योग ताला बंदी की तरफ जा सकता है । उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मामले में
दखल दे और बड़ी पेपर मिलों की मनमर्जी पर अंकुश लगाएं।
उन्होंने कहा कि अगर इस बाबत कोई कारगर कदम नहीं उठाए गए तो मजबूरन गत्ता
उद्योग मालिकों को उद्योगों पर ताले लगाकर चाबियां बैकों व सरकार को सौंपनी पड़ेंगीं।
यही नहीं, इन पदाधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने उचित कदम उठाकर दखल नहीं दिया तो
वे लोग मजबूर होकर अनिश्चितकालीन हड़ताल भी कर सकतें है। इससे सभी कंपनियां परेशानी
में आ जाएँगी क्योंकि पैकिंग के बिना उनका काम ही नहीं चल सकता।
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में गत्ता उद्योग की उत्तर प्रदेश में लगभग
500, हिमाचल व हरियाणा में 300-300, पंजाब में 200, राजस्थान में 250 व जम्मू-कश्मीर
में 100 यूनिट काम कर रहीं हैं जिनमें हज़ारों कर्मचारियों को रोजगार मिल रहा है। इन
गत्ता उद्योग यूनिटों को कच्चा माल सप्लाई करने वाली पेपर मिलों में से अधिकांश उत्तर
प्रदेश में है जबकि हिमाचल व पंजाब में 6-6 मिलें हैं। इन पदाधिकारियों का आरोप है
कि ये सभी पेपर मिल्स आपस में सलाह करके रेट बनातीं हैं। उन्होंने कहा कि कंपनियों
द्वारा इस प्रकार कोर्टल बनाना बिलकुल गैरकानूनी है व कानून में इसके लिए बाकायदा दंडात्मक
करवाई का प्रावधान है।
उन्होंने कहा कि फार्मा एवं सभी मल्टीनेशनल यूनिट गत्ता उद्योगों को दो
महीने पहले ऑर्डर करती है और उस समय के हिसाब से रेट कर लेती है लेकिन पेपर मिल्स पिछले
लगभग एक महीने में क्राफ्ट पेपर के रेट 20 फीसदी तक बढ़ा चुकी हैं, जिससे गत्ता उद्यमियों
को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और गत्ता उद्योग संघ इससे काफी परेशानी में है। उन्होंने
जानकारी दी कि गत्ता उद्योगों में 90% क्राफ्ट पेपर का इस्तेमाल होता है। पेपर मिल्स
ने बिना किसी ठोस कारण के रेट बढ़ा दियें हैं। इससे गत्ता उद्योगों को भरी नुक्सान उठाना
पड़ रहा है क्योंकि जिन कंपनियों को ये बॉक्स तैयार करके बेचतीं हैं, वे रेट बढ़ाने को
राजी नहीं हैं। वह कहतें हैं जोकि एक तो वैसे ही देश भर में मंदी छायी हुई है और काम
बहुत कम रह गया है। पेमेंट भी 90-100 दिन में मिल रही है। इसके अलावा ज्यादातर बॉक्स
यूनिट स्माल स्केल में हैं व बैंकों के ब्याज का मीटर भी चल रहा है क्योंकि सभी ने
लोन ले रखा है। ऐसे में गत्ता उद्योग दम तोड़ने के कगार पर पहुँच चुका है। सभी ने एक
स्वर में मांग की कि या तो पेपर मिल्स बढ़े हुए रेट वापिस लें या फिर सभी कंपनियां हमारे
रेट बढ़ाए अन्यथा तालाबंदी अथवा हड़ताल अवश्यंभावी है।
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