By Samachar Vishesh News
Chandigarh Jan.
19, 2021:- कैमिकल्स तथा डाई मेन्युफेक्चरिंग, ट्रेडिंग तथा डिस्ट्रीब्यूशन कम्पनी, बीएसई में सूचीबद्ध सीएचडी कैमिकल्स लिमिटेड, ने अपने अनऑडिटेड तीसरी तिमाही के परिणामों की घोषणा की। इस घोषणा के अनुसार कम्पनी का सकल लाभ पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 262 प्रतिशत बढ़कर 31.70 लाख पर पहुँच गया, ईपीएस पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 0.08 रूपये (वित्तीय वर्ष 20 की तीसरी तिमाही) से बढ़कर 0.31 रूपये (वित्तीय वर्ष 21 की तीसरी तिमाही) हो गया। यदि पिछले वर्ष की तिमाही की तुलना में देखें तो, लाभ 280 प्रतिशत बढ़ा और ईपीएस 0.08 रूपये (वित्तीय वर्ष 20 की तीसरी तिमाही) से बढ़कर 0.31 रूपये (वित्तीय वर्ष 21 की तीसरी तिमाही) बढ़ गया। 31 दिसम्बर 2020 को समाप्त होने वाली तिमाही के लिए टर्नओवर, 2023.
57 लाख रुपए पर पहुंच गया।
उल्लेखनीय है कि कम्पनी, टैक्सटाइल इंडस्ट्री, लेदर तथा पेपर इंडस्ट्रीज़ के लिए इंडस्ट्रियल कैमिकल्स एवं डाई तथा इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन कैमिकल्स भी बनाती है। कम्पनी उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला की पेशकश करती है, जिसमें ऑक्ज़िलरीज़: डाइंग, इज़ी केयर फिनिशिंग;फिनिशिंग; फ्लेम रिटार्डेन्ट; ऑक्ज़िलरीज़: ऑप्टिकल ब्राइटनर; पिग्मेंट प्रिंटिंग; वाटर रिपेलेंट; एसिड डाई; डायरेक्ट डाई; डिजिटल प्रिंटिंग के लिए स्याही; वेट डाई; एन्टीफोमिंग डिटर्जेंट तथा बेसिक कैमिकल्स शामिल हैं ।
कम्पनी ने इसके पहले यह घोषणा की थी कि इसे 56 करोड़ रूपये का एक एक्सपोर्ट ऑर्डर प्राप्त हुआ है। कम्पनी अपने व्यवसाय का विस्तार सम्पूर्ण साऊथ ईस्ट एशिया में कर रही है और इसी उद्देश्य से कम्पनी ने इसी क्षेत्र के प्रमुख ग्रुप के साथ हाथ मिलाये हैं। यह नया ऑर्डर कम्पनी के लिये एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह बड़ा ऑर्डर कम्पनी को ग्लोबल मार्केट में अपने कदम जमाने में मदद करेगा और इसके टर्नओवर के साथ ही लाभप्रदता को बढाने में भी सहायक होगा । वर्तमान में कम्पनी के अपने अत्याधुनिक रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेंटर्स हैं जो कि अल्ट्रा मॉर्डन उपकरणों से सुसज्जित हैं। इसके जरिये कंपनी फार्मास्युटिकल्स एपीआईज़, कैमिकल्स आदि जैसे क्षेत्रों में आर एंड डी (रिसर्च एंड डेवलपमेंट) अभियानों पर अपना ध्यान केंद्रित रखती है। इससे कंपनी की आर एंड डी क्षमता दुगुनी हो जाएगी और नये तथा बेहतरीन व किफायती उत्पादों के विकास, प्रोसेस कैमिस्ट्रीज़, उत्पादों की गुणवत्ता के सुधार, डाउनस्ट्रीम उत्पादों के लिए आगे एकीकरण करने, आदि जैसी चीज़ों पर फोकस किया जा सकेगा। बाजार के विश्लेषकों की मानें तो इस विस्तार के कारण, कम्पनी के टर्नओवर तथा लाभप्रदता के दीर्घकालिक रूप में बढ़ने की पूरी संभावना है।
उल्लेखनीय है कि भारतीय डाय स्टफ उद्योग देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह भारत के कोर कैमिकल उद्योगों में से एक है। साथ ही यह कैमिकल इंडस्ट्री का दूसरा सबसे ऊंचा एक्सपोर्ट सेगमेंट है। भारत में महाराष्ट्र व गुजरात डायस्टफ (डाय सम्बन्धी उत्पाद) उत्पादन में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी करते हैं क्योंकि इन क्षेत्रों में कच्चा माल भी बहुतायत में उपलब्ध है और यहां टैक्सटाइल उद्योग की भी जबरदस्त पैठ है। भारत में इस डाय (रंग/स्याही) के बड़े उपभोगकर्ताओं में टैक्सटाइल, पेपर, प्लास्टिक, प्रिंटिंग इंक तथा फ़ूडस्टफ इंडस्ट्री शामिल हैं। टैक्सटाइल सेक्टर कुल उत्पादन के करीब 80 प्रतिशत का उपयोग कर लेता है क्योंकि इस सेक्टर से विश्वभर में पॉलिस्टर तथा कॉटन की बहुत अधिक मांग है। भारतीय उद्योग की प्रोडक्शन वॉल्यूम में कंपाउंड एन्युअल ग्रोथ रेट (सीएजीआर) काफी मज़बूत है (7.6 प्रतिशत की दर से) और यह वैश्विक दर (3.8 प्रतिशत की दर) से लगभग दुगुनी है। लेकिन चीन (एकमात्र देश जिसकी वृद्धि इस संदर्भ में डबल डिजिट यानी 11.8 प्रतिशत की दर से है) तथा मिडिल ईस्ट (~8.5 प्रतिशत की दर) से इस मामले में हमारा देश पीछे है। यह आंकड़े 2000-2017 के हैं।
तुलनात्मक रूप से यूरोप तथा उत्तरी अमेरिका के विकसित देशों में यह दर कुल (सकल) स्तर पर फ्लैट बनी हुई है। इस प्रक्रिया में भारतीय क्षमता इस अवधि में 11 एमटी से 39 एमटी यानी लगभग चौगुनी हुई है और हालिया सर्वे के अनुसार इसके आगे तेज गति से और भी वृद्धि करने की संभावना है। जिससे सीएचडी कैमिकल्स को पर्याप्त लाभ मिल सकेगा। भारत, चीन और मिडिल ईस्ट वे महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं जिन्होंने इस अवधि में ग्लोबल क्षमता को दुगुना करने में मदद की है।
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