Samachar Vishesh News Reporter
Chandigarh Jan. 30,
2021:- 1
फरवरी, 2021 को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट के संबंध में, प्रसिद्ध आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य मनीष ने वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि इसमें आयुर्वेद के विकास हेतु एक कोष स्थापित करने का प्रावधान होना चाहिए। आचार्य मनीष ने कहा कि इस बजट में मैं चाहता हूं कि वित्त मंत्री आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार आयुर्वेद के पारंपरिक ज्ञान के विस्तार में मदद हेतु एक आयुर्वेद प्रसार कोष की स्थापना करें और इस फंड का उपयोग करते हुए देश के अनुसंधान संस्थानों से ऐसे पाठ्यक्रम तैयार करने को कहें जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हों। मैं ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा (एआईआईए), नई दिल्ली की वित्तीय आवश्यकताएं पूरी करने के लिए वित्त मंत्री से आग्रह करता हूं कि वह एक फंड स्थापित करें, ताकि उत्तम अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त करने के लिए दूरगामी विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया जा सके और एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका भी शुरू की जा सके।
उन्होंने यह भी बताया कि आयुष हेल्थकेयर सिस्टम को बढ़ावा देने और इसे विकसित करने हेतु साझेदारी के लिए आयुष मंत्रालय को चाहिए कि आयुर्वेद चिकित्सकों और विशेषज्ञों की मदद ली जाये।
आचार्य मनीष, जिन्होंने 2019 में चंडीगढ़ के निकट ज़ीरकपुर में एक आयुर्वेदिक क्लीनिक एंड रिसर्च सेंटर - शुद्धि की स्थापना की, आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आचार्य मनीष आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार पर काम कर रहे हैं और शुद्धि आयुर्वेद के तहत, फिलहाल भारत में 150 से अधिक आयुर्वेदिक केंद्र संचालित हैं।
आचार्य मनीष ने वित्त मंत्री से एक आयुर्वेदा बोर्ड की घोषणा करने का आह्वान किया है, जिसके साथ आयुर्वेद शोध विंग भी हो। आचार्य मनीष ने आगे कहा कि मैं चाहता हूं कि केंद्र सरकार और वित्त मंत्री एक समर्पित अनुसंधान विंग के साथ एक आयुर्वेद बोर्ड की स्थापना करें, जो भारतीय चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तुलना में अधिक जीवंत और प्रभावी हो। बोर्ड देश में आयुर्वेद के विकास की दिशा में होने वाले सभी प्रयासों का समन्वय करेगा, और इसकी रिसर्च विंग अत्याधुनिक शोध करेगी, साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षण को बढ़ावा देगी। इसे आगे बढ़ाने के लिए एक फंड की स्थापना करना जरूरी है।
आचार्य मनीष ने बताया कि हमने कोविड युग के दौरान स्वास्थ्य का अधिकार अभियान की शुरुआत की, क्योंकि कोविड के खिलाफ अपनी प्रभावकारिता के चलते आयुर्वेद इस अभूतपूर्व महामारी के दौरान प्रमुखता से सामने आया है। यह अभियान भारत के जड़ी-बूटी आधारित औषधीय विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए है। राइट टू हैल्थ पहल छह महीने तक चलेगी, जिसके तहत हम मीडिया व विविध आयोजनों के जरिये आयुर्वेद और संबद्ध उपचार विधियों के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करेंगे, और केंद्र एवं विभिन्न राज्य सरकारों के साथ इस बारे में चर्चा करेंगे। एक सोशल मीडिया अभियान भी शुरू होने वाला है। इसका उद्देश्य नागरिकों को आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान करना होगा। '
आचार्य मनीष ने कहा कि वोकल फॉर लोकल के तहत आयुर्वेद को बढ़ावा देने की सख्त आवश्यकता है, और केंद्रीय बजट 2021-22 इसके लिए एक उचित माध्यम है।
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