Tuesday, September 24, 2019

ब्रह्मज्ञानी हमेशा ही मन के भावों को निर्मल रखता है: निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज


By Samachar Vishesh News
Chandigarh 24th September:- ब्रह्मज्ञानी हमेशा ही अपने मन के भावों को निर्मल रखता है, सतगुरु के वचन और दूसरों को पहल देता है। उक्त विचार निरंकारी सतगुरु  माता सुदीक्षा जी महाराज ने संत निरंकारी भवन देहरादून में हुए एक विशाल समागम में संगत को आशीर्वाद देते हुए बोले। उन्होंने फ़रमाया कि प्रभु परमात्मा की जानकारी हासिल करने  के बाद मनुष्य में निम्रता , सादगी, चेतनता, जागरूकता जैसे भाव पैदा हो जाते हैं।
ब्रह्मज्ञानी मनुष्य हमेशा ऊँची सोच का प्रेक्षक बन जाता है और तंग दिलो को छोड़ कर हमेशा ही सब के भले की कामना करता है। ब्रह्मज्ञानी हमेशा ही चेतन अवस्था में रहता है। वैर विरोध नफ़रत अहंकार आदि जैसी दीवारों को अपनी ज़िंदगी बीच में से ख़त्म करके अपनी ज़िंदगी जीता है। उन्होंने कि बेशक हमारा पहनावा, बोली, भाषा, रीति रिवाज़, रंग रूप अलग अलग होने परन्तु हमारे में जो आत्मा प्रभु परमात्मा का अंश है वह एक ही है इस लिए हमें हर एक मनुष्य के साथ प्यार करना चाहिए और गुरू वचनों को पहल देते हुए अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। उन्होंने फ़रमाया कि मनुष्य को किसी का भी बुरा नहीं सोचना चाहिए बल्कि हरेक के साथ प्यार, प्रीत, नम्रता, सहनशीलता के साथ पेश आना चाहिए।

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